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दशरथ मांझी की पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित/dr प्रेम कुमार

*दशरथ मांझी_डॉ प्रेम कुमार*

*माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध,पक्का इरादा वाले,एंग्री यंग मैन,दृढ़ संकल्प,धुन के पक्के,जुल्म के खिलाफ विद्रोह करने वाले दशरथ मांझी का जन्म 14 जनवरी 1929 को गहलोर गांव,गया में एक दलित परिवार में हुआ था। गरीबी के कारण उनकी बहुत ज्यादा पढ़ाई लिखाई नहीं हो पाई।*
*दशरथ मांझी के पिता ने जमींदार से कर्ज लिया था जिसे नहीं लौटाने के कारण इनके पिता ने जमींदार के यहां इनको बंधक/बंधुआ मजदूर रख दिया। विद्रोही स्वभाव के होने के कारण इनको जमींदार की गुलामी पसंद नहीं आई और भाग कर धनबाद चले गए। वहीं कोयला खदान में काम करने लगे। 1955 में 7 वर्षों के बाद पुनः अपने गांव लौटे। वही एक लड़की से इन्हें प्रेम हुआ और 1960 में उससे शादी की। पत्नी को पानी लाने के लिए पहाड़ के उस पार जाना पड़ता था। वही अतरी और वजीरगंज ब्लॉक की दूरी पहाड़ के कारण 55 किलोमीटर होती थी। उसे पार करने के लिए लोगों को काफी कठिनाई होती थी।एक दिन पहाड़ी पार करते हुए उनकी पत्नी के गिरने से घायल हुई। बाद में बच्चे जन्म देने के क्रम में उनकी मृत्यु हो गई। इन्हीं घटनाओं ने उन्हें पहाड़ का सीना चीरने के लिए प्रेरित किया। केवल एक हथोड़ा और छेनी से अकेले ही 360 फीट लंबा,30 फुट चौड़ा और 25 फीट ऊंचा पहाड़ को काटकर एक सड़क बना डाला।उन्हें सड़क बनाने के लिए 22 वर्षों तक अथक,अनवरत परिश्रम करना पड़ा,तब जाकर के अतरी और वजीरगंज की दूरी 55 किलोमीटर से घटकर 15 किलोमीटर हो गई। लोगों को पानी ले जाने_आने में भी सुविधा होने लगी। इन्होंने जब पहाड़ तोड़ना शुरू किया तो लोग ईन्हें पागल कहा करते थे। धुन के पक्के,उनके जिद के आगे पहाड़ भी बौना पड़ गया और छेनी हथौड़े ने पहाड़ के बीच रास्ता बना डाला। एक बार इंदिरा गांधी गया में आई थी। तब उनका मंच टूट गया था,तो मंच को संभाले दशरथ मांझी और उनके साथियों ने रखा।इसी कारण इंदिरा गांधी का कार्यक्रम हो पाया। इसके बाद इंदिरा गांधी जी उनके साथ फोटो खींची और मदद की बात कही।वहां के जमींदारों ने उनसे अंगूठा लगाकर मदद के नाम पर 25 लाख रुपए उनसे ठग लिया। इसकी शिकायत करने वह मात्र ₹20 लेकर दिल्ली ट्रेन से जा रहे थे। जहां टीटी ने उन्हें ट्रेन से उतार दिया। किसी तरह दिल्ली पहुंच गए।उन्होंने इंदिरा गांधी के साथ अपनी फोटो सुरक्षा गार्ड को दिखाई तो गार्ड ने उस फोटो को फाड़ दिया। उन्हें पीएम इंदिरा गांधी से मिलने नहीं दिया।अंततः थक हार कर वापस आ गए। गरीबी मुफलिसी में जीने वाले एंग्री यंग मैन,दशरथ मांझी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत है। उनके जीवन पर माउंटेन मैन फिल्म भी बना। पद्मश्री के लिए उन्हें नामित किया गया। आमिर खान ने सत्यमेव जयते के सीजन 2 में उनकी कहानी लोगों तक पहुंचाई। ऐसे महान व्यक्ति,धुन के पक्के,दशरथ मांझी की मृत्यु, लिवर में कैंसर के कारण दिल्ली एम्स में इलाज के दौरान 17अगस्त 2007 में हो गई।एक संघर्षशील जीवन का अंत हो गया। आज उनके जयंती के अवसर पर उनके श्री चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए गर्व महसूस होता है। आप जैसे धुन और लगन के पक्के कभी_कभी पैदा होते हैं*

त्रिलोकी नाथ डिस्ट्रिक्ट डिवीजन हेड गया

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